(नागपत्री एक रहस्य-34)

क्लासमेट के कहने पर पहली बार लक्षणा कहीं आउटिंग के लिए तैयार हुई थी, क्योंकि यह उसके सहपाठियों के साथ शायद आखिरी पिकनिक होंगी , क्योंकि उसके बाद सभी अपने अपने मनचाहे कॉलेज में जाकर एडमिशन ले लेंगे, और इसके बाद ना जाने फिर दोबारा कहां मुलाकात होगी।

                वास्तव में लक्षणा सहपाठियों से कम लेकिन उसके क्लास टीचर और अन्य सब्जेक्ट के टीचर की सिफारिश के कारण कहीं बाहर जाने के लिए तैयार हुई थी, क्योंकि उसे एकांत ज्यादा प्रिय था। 



वह यूं ही अन्य बच्चों की तरह बेफिजूल घूमना और बेफिजूल की बातें करना पसंद नहीं करती थी, उसके लिए स्कूली दुनिया महज एक सफर था, जिसे बहुत ज्यादा दिनों तक सिर्फ कहानियां और किस्सों में समेटकर रखा जा सकता है। 
                वास्तव में जिन बच्चों ने अपने जीवन के इस दौर में पढ़ाई लिखाई पर ध्यान नहीं दिया, और किस्से बनाते रहे, इस दौर को सिर्फ दोस्ती यारी और बेफिजूल की बातों में बिताते हैं, वह अक्सर पूरी उम्र सिर्फ लोगों को अपने पुराने दौर के कहानी किस्से ही सुनाते नजर आते हैं। 



लेकिन ठीक इसके विपरीत इतिहास को रचने वाले किताब में पढ़ाए जाने वाले चरित्र के रूप में और इतिहास को बदल देने की शक्ति रखने वाले बच्चे अक्सर इस समय खामोशी से अपने लक्ष्य की ओर केंद्रित होकर बढ़ते हैं, ऐसे बच्चे उस स्थान पर पहुंचते हैं कि उन्हें कहानी किस्से सुनाने या सुनने के लिए समय ही नहीं होता, क्योंकि वह खामोशी से अपना लक्ष प्राप्त कर ही लेते हैं। 
          इधर लक्षणा भी और बच्चों की तरह उस दौर पर थी जब उसके साथी भटकाव की स्थिति में थे, और अपनी पिकनिक को एक यादगार ट्रिप के रूप में याद रखना चाहते थे। 




इन सब में उसका ही एक सहपाठी सोमेश जो प्रथम कक्षा से ही लक्षणा को देखा करता था, और ना जाने उसके मन में लक्षणा को लेकर क्या छवि थी, लक्षणा के हां कहने पर सबसे ज्यादा खुशी उसे ही हुई थी, उसने मन ही मन विचार किया कि चाहे कुछ भी हो वह अपने मन की बात लक्षणा से अवश्य ही कह कर रहेगा, और इसी उधेड़बुन और आनंद फानंद में सभी ने यह तय किया कि पिकनिक के लिए "सोपन गांव" के पास जो पहाड़ों की तलछटी में था ।
                   जिसके पास नदी झरने और प्राकृतिक वातावरण बहुत ही मनमोहक था और इस समय वहां इतनी ज्यादा भीड़ होने की भी आशंका नहीं थी, तब सबने मिल जुलकर हामी भरी और तय किया कि उसी स्थान पर जाएंगे। 



वास्तव में सोपन गांव की भी एक अलग ही कथा है, ऐसा कहते हैं कि वहां का वातावरण हर समय एक सा रहता है, प्रकृति का भी प्रभाव उस स्थान पर नहीं देखा जा सकता, बरसात के मौसम में भी वहां पर लोगों को कोई चिंता नहीं, क्योंकि उस जमीन पर बरसात का पानी पड़ता ही नहीं। 
                   वह इस तरह से पहाड़ियों के बीच बसा है कि जब बारिश होती तो पानी पर्वत श्रृंखलाओ और ऊंचे पेड़ की पत्तियों को छू कर बिखर जाता है, इसलिए तेज बरसात की बचाव की चिंता उस जगह पर नहीं होती। 



वहां लगे औषधि पौधे और घनी झाड़ियां, कल कल बहती नदी ग्रीष्म ऋतु में भी शीतलता बनाए रखती है, और इन्हीं गुणों के कारण शीत ऋतु में वहां इतनी शीतलता का भी अनुभव नहीं होता। 
      वास्तव में उस जगह को एक विशेष तप की जगह माना जाता है, इसलिए वहां गलती से कोई अशोभनीय मांस मदिरा का सेवन स्पष्ट रूप से मनाही है। 



हमेशा शांत रहने वाली लक्षणा सब के कहने पर एक छोटी सी पुस्तक जिसमें वह अक्सर अपने विचारों और विशिष्ट घटनाओं के साथ अपनी किसी विशेष लक्ष्य के शोध में कार्य को लेकर लिखा करती थी।
                    उसे लेकर वे सभी आगे की ओर निकल गए,  सोमेश अपने आप में हिम्मत बंधा रहा था, कि वह किसी तरह लक्षणा से बात करे, वही लक्षणा प्रकृति के मनमोहक दृश्य के साथ उसके रहस्य को समझने का प्रयास कर रही थी। 



उसने यहां आने से पहले उस स्थान के बारे में बहुत कुछ सुन और पढ़ रखा था, कि प्राचीन काल में सोपन गांव वास्तव में सर्पों का निवास गृह हुआ करता था, इसलिए उसे सर्प निवास और फिर आज के दिनों में परिवर्तित नाम सोपन नाम से जाना जाता है,
           यह कहा जाता है कि उस स्थान पर कुछ समय में और आज में अप्रत्यक्ष रुप से सर्प जाति तप साधना करती हैं, और इसी कारण सोपन गांव के एक हिस्से में एक चेवतानी के साथ बोर्ड भी लगाकर रखा हुआ है, जिसमें सख़्त हिदायत भी दी गई है कि उस स्थान पर आने-जाने की अनुमति किसी को नहीं है।




लेकिन लक्षणा को शायद इस ट्रिप पर कुछ और ही सोच कर आई थी, जैसे ही वह उस स्थान पर पहुंची, उसे ऐसा लगा जैसे उस जगह से वह भलीभांति परिचित हैं, सभी अपनी अपनी मस्ती में लगे थे,और लक्षणा अकेली कुछ विशेष प्राकृतिक चीजों पर गौर करती हुई एक विशेष दिशा की ओर जाने लगी। 
                         रिसर्च की तरफ से सभी को विशेष हिदायत के साथ प्रकृति का आनंद लेकर तुरंत लौटने की हिदायत के साथ कुछ समय के लिए ग्रुप के साथ घूमने की परमिशन दे दी गई थी, और सभी ने बेचारी लक्षणा की और ध्यान भी नहीं दिया , क्योंकि वह सभी जानते थे कि एकांत उसे पसंद है, आज के दिन कोई भी उसे मनाने में व्यर्थ नहीं गंवाना चाहता था 



लक्षणा तो जैसे एक अलग ही दुनिया की स्वामिनी थी, वह विशिष्ट संकेतों को पढ़ते हुए एक अलग दिशा की ओर बढ़ रही थी इस बात से बेखबर की कोई उसका पीछा कर रहा है, वह एक विशेष तालाबनुमा कुंड के पास आकर रुक गई, और बड़े गौर से देखने लग गई।
                         इस कुंड के पास कुछ अजीब अजीब सी आकृतियां बनी हुई थी, ऐसा लग रहा था जैसे वर्षों पहले कुछ मूर्तियों को वही के पत्थरों में आकृति देकर बनाया गया, लेकिन इन सबसे भिन्न एक विशेष आकृति पर लक्षणा का ध्यान केंद्रित होता था, तालाब जो कुंडनुमा था।



लक्षणा ने देखा की उसमें नीचे से बुलबुले की तरह पानी उठकर ऊपर की और आता, जिससे आसपास का वातावरण पानी के बुलबुलों की आवाज़ से रह रहकर गूंजता था, उस स्थान पर और उसी के पास एक यक्ष प्रतिमा बनी हुई थी, जिसके हाथों में रखा हुआ दंड उनकी प्रतिमा के नजदीक येसे रखा हुआ था, जैसे उन्होंने खुद ही किसी समय तालाब में स्थान के समय वहां रख कर गए हो।
                   और थोड़े समय उन मूर्तियों को देखने के पश्चात लक्षणा के मन में ना जाने क्या आया ,उसने उस दंड को जो पत्थर से चिपका हुआ सा लग रहा था, या यूं कहे उसी पत्थर में बनाए हुए था, उठाने की मंशा से उसके ऊपर हाथ घुमाया और आश्चर्यजनक रूप से वह किसी लकड़ी की तरह उसके हाथ में आ गया। 


लक्षणा के लिए यह उसकी शक्ति का प्रथम परिचय था,सोमेश दूर खड़ा उसकी इस हरकत को देखे जा रहा था, जैसे लक्षणा के हाथ में वह दंड आया, ऐसा लगा जैसे वहां का सारा वातावरण किसी विशेष सरसराहट की आवाज से गूंजने लगा, और एक तेज फुंकार सुनाई दी, जिसे सुनकर सोमेशके होश उड़ गए और वह घबराकर भाग खड़ा हुआ।


क्रमशः....

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1 Comments

Mohammed urooj khan

25-Oct-2023 02:34 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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